उसका उसी को देने में क्या महानता है। Great People Great Thoughts
कुछ दिन पहले मेरे पास Quora का एक बहुत बढ़िया सवाल आया की अपने पैसे का इस्तेमाल कैसे करे, मैंने इधर उधर से जो ज्ञान एकत्रित किया था वो वहा पर लिख दिया लेकिन भाग्य से वह जवाब हजारो लोगो को अच्छा लगा। उस जवाब में ही आज के टाइटल का मतलब छुपा हुआ है की उसका उसी को देने में क्या महानता है मेरा जवाब कुछ इस प्रकार था की...
आपने तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीरियल का नाम तो सुना ही होगा। उसमे चंपकलाल का एक बहुत अच्छा डायलॉग है जो मुझे पर्सनली बहुत अच्छा लगता है जिसमें बताया गया है कि हमें पैसों का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए। तारक मेहता में चंपकलाल कौन है वह तो आपको पता ही होगा।
चंपकलाल कहते हैं कि हमारे जमाने में जब हम 100 रुपए कमाते थे तो उसमें से 25 रुपए रोजमर्रा की जिंदगी के लिए इस्तेमाल करते थे। 25 रुपए दवा के लिए बचाते थे। 25 रुपए जिंदगी में आने वाली परिसानियो के हल स्वरूप में बचाते थे और 25 रुपये से जरूरतमंद की मदद करते थे।
पहले के तीन ideas तो आप सबको पसंद आए होंगे और बहुत सारे लोग इसका इस्तेमाल भी करते होगे लेकिन लास्ट का ideas शायद ही कोई अपनी जिंदगी में इस्तेमाल करता होगा लेकिन सबसे किफायती और सबसे ज्यादा जरूरी लास्ट वाला ही है यही वह आईडिया है जिससे इंसान की आमदनी दुगनी हो जाती हैं। क्योंकि...
करोड़पति दान इसलिए नही देता क्योंकि वह करोड़पति है वह दान देता था इसलिए करोड़पति हुआ।
कसम से ये पंक्ति मैंने ख़ुद बनाई है। अब मै अपने ब्लॉग के टाइटल यानि की उसका उसी को देने में क्या महानता है इस पर प्रकाश डालता हु।
मैंने एक network marketing के सेमिनार में बहुत अच्छी बात सीखी थी जो मैं आपको बताना चाहता हूं जो इस ब्लॉग के टाइटल का मतलब है की हमें अपनी कमाई में भगवान को हिस्सेदार बना लेना चाहिए। जो हमें ठीक लगे उतना हिस्सा हमें भगवान को समर्पित करना चाहिए।
अपने हिसाब से 5% 10% जो हमारे हिसाब से सही हो और हां मैं आपको इतना बता दु कि आप जितने भी परसेंट भगवान को हिस्सेदारी देगे उतनी ही परसेंट आपकी तरक्की हर साल होगी।
जब मैंने ये बात quora पर लिखी तब एक लड़की ने बहुत बढ़िया कॉमेंट किया जो मै आपको दिखाना चाहता हु और उस कॉमेंट का जवाब भी यहाँ पर लिखना चाहता हु।
तो मै आपको बता दू की भगवान को हिस्सेदार बनाना मतलब भगवान के मंदिर मस्जिद में या खुद भगवान के पास पैसे देने की जरुरत नहीं है, इसका मतलब ये है की आपको किसी ऐसे इंसान या जीव की मदद करनी है जो असहाय है क्योंकि उसका उसी को देने में क्या महानता है।
बस यही है मेरी जिंदगी की आज की सीख...
1 टिप्पणियाँ
True enough.
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