सब कुछ छोड़ जाने को ~ poetry in hindi
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सब कुछ छोड़ जाने को ~ poetry in hindi |
पता नहीं क्यों दिल कहता है
रिश्ते नाते सब से तोड़ जाने को
सुने हुए सारे कड़वे लब्ज भूल कर ,
एक नई उम्मीद के साथ दिल कहता है
सब कुछ छोड़ जाने को ,
एहसास नहीं है इस रास्ते का अंजाम
फिर भी आज दिल कहता है ,
सब कुछ छोड़ जाने को ,
Poetry for Bitterness
सचमुच गिला नहीं है मुझे अपनों से ,
गिला है मुझे गैरों की आदतों से ,
उनकी दिल जलाने वाली बातों को
सुनकर दिल बार बार कहता है
ऐसा नहीं है कि मैं कोशिश नहीं करता
आदतों में ढलने के लिए , फिर भी
एक वक्त के बाद दिल फिर कहता है
सब कुछ छोड़ जाने को ,
जानता हूं इन बातों से शिकवा नहीं करते
मगर काश यह बात दिल भी जान लेता
तब शायद दिल नहीं कहता
सब कुछ छोड़ जाने को ,
बस यही थी मेरी जिंदगी में आज की कविता ।
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