Control our mind : A blog about How to control our mind , how to control mind from negative thoughts ,
How can we control our mind
आपने एक बार अपने विचारों को नियंत्रित करने की कोशिश जरूर की होगी , खुदकी सहायता से या फिर किताबों की सहायता से , शायद आप वास्तव में positive बने होंगे और negitivine को निकालने की कोशिश की और यह थोड़ी देर के लिए चला लेकिन जल्दी या बाद में आप शायद शुरुआती जगह पर खुद को वापस आ गये , मैं आपको यह बताने के लिए यहां हूं कि एक और रास्ता है और यह आपके अपने दिमाग का मालिक बनाता है
हमने बहुत सारी बातें अपने Mind के बारे में की अब हम बात करेंगे कि हम अपने माइंड को काबू में कैसे ला सकते हैं मैंने आपको पहले कहा था कि अगर आप अपने जागृत मन को जागृत करेगे तभी आप अपने आप के मालिक हो सकते हैं , अब बात यह है कि हम अपने जागृत मन को कैसे जागृत करें क्योंकि बहुत सालों तक किसी की गुलामी करने के बाद वहां से छूटकर अपना खुद का राजपाट संभालना इतना आसान नहीं ,
हमारे भारत देश को भी Constitution मैं बहुत देर लग गई थी इसलिए अपने माइंड को भी प्रिपेयर करने में कुछ वक्त तो लगेगा और उसके लिए बहुत सारा पैशंस भी चाहिए तब जाकर आप अपने आप के मालिक हो सकेंगे , अब सोचना यह है कि हम करें क्या ऐसा ,
How to control mind from negative thoughts
सबसे पहले तो मैंने आपको कहा था कि अपने फायदे के काम में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं जैसे कि अगर आप पढ़ाई करने के बारे में सोच रहे हैं तो उसमें ज्यादा दिमाग ना लगाते हुए आप तुरंत बुक्स लेकर बैठ जाइए वरना क्या होगा कि आपको बहुत सारे दूसरे विचार आने लग जाएगी और जो पढ़ाई करने का प्लान है वह ड्रॉप हो जाएगा और इन सब के बारे में मैंने पहले भी बात की है ,
दूसरी बात यह है कि आप अपने माइंड को इस तरह से प्रिपेयर करें कि उन्हें ऐसा लगे की वह आप का हिस्सा ही नहीं है क्योंकि उन्हें ऐसा लगेगा कि आप उनके ऊपर डिपेंड है तो वह आपको बहुत सारे इंस्ट्रक्शन देना शुरू कर देगा और उनमें से कुछ इंटरेक्शन आपके अर्ध जागृत माइंड के होगे जो सही नहीं होगा ,
यहां पर मैं आपको यह नहीं कह रहा हूं कि आप सोचना बंद कर दीजिए मैं आपको बस यह कह रहा हूं कि जिस काम करने में आपको मेहनत लगती है उस काम को ज्यादा महत्व दे , ना कि उस काम को जिस काम करने में आपको अच्छा लगता है और मेहनत ना करें क्योंकि हंड्रेड परसेंट वह काम गलत ही होगा ,
कुछ डिसीजन ऐसे होते हैं जो अगर हम सही ना ले तो आगे जाकर हमें पछताना पड़ता है और आपको यह सब पता है कि हमारे सारे डिसीजन हम खुद नही हमारा माइंड लेता है

जैसे कि आपने कोई कोर्स करने के बारे में सोचा तब उनकी जो डिफिकल्टी होगी वह देख कर आपका और जो जागृत माइंड आपको नकारात्मक सोच देगा और जागृत मैं आपको सकारात्मक सोच देगा अब फैसला आपके पास है कि आपको क्या करना चाहिए अगर आप अपने आप में नहीं सोचा और उनमें से किसी की बात सुन ली तब समझ लेना कि आपका जो डिसीजन है वह कहीं ना कहीं गलत होगा ,
ऐसा नहीं है कि आप जागृत माइंड के सारे डिसीजन एक्सेप्ट करते हैं और सक्सेस होते जाते हैं क्योंकि कभी-कभी हम खुद नहीं जानते हैं कि हमारा जो डिसीजन है वह ठीक था या गलत था इसलिए अच्छा यही है कि अपने माइंड और अपने आप को एक साथ ज्वाइन करके कोई ना कोई डिसीजन लेना पसंद करें , इसलिए कहते है लोग की दिल और दिमाग दोनों से सोचकर देखो ,
हर एक काम करने के पीछे क्या परिणाम आएगा वह हम समझ सकते हैं क्योंकि हम इतने भी छोटे नहीं है कि हम किसी के पीछे छिपे हुए महत्व का ज्ञान ना कर पाए और अगर हम इतना नहीं कर सकते हैं तब समझ लीजिएगा कि आपके नॉलेज और आपके माइंड में कुछ ना कुछ प्रॉब्लम है ,
बस यही थी मेरी जिंदगी में आज की सिख....
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